Monday, April 5, 2010

ऑपरेशन ग्रीन हंट: क्या वाकई समस्या का असली समाधान है?

विगत कुछ महीनों से केंद्र सरकार ने नक्सलवाद को ख़त्म करने के लिए वृहत स्तर पर अभियान चलाया हुआ है, जिसे "ग्रीन हंट" कहा जा रहा है. इसके तहत सीआरपीएफ की अगुआई में स्थानीय पुलिस बल मिलकर इस कार्रवाई को अंजाम देने में लगे हुए हैं. अभियान को और मजबूती देने के लिए जम्मू कश्मीर में तैनात अर्धसैनिक बलों को भी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बुला लिया गया है.
सवाल उठता है कि क्या इस वृहत अभियान से नक्सलवाद का हल ढूँढा जा सकता है? या भविष्य में प्रतिकार स्वरुप उनके और मजबूती से उभरने कि संभावना है?
मुझे ऐसा लगता है कि इन क्षेत्रों में विकास कि ईमानदार कोशिश ही  इस समस्या का उपयुक्त समाधान होगा. हाँ ये जरूर है कि इस विकास की राह में जो आड़े आए, उनके खिलाफ निपटने में कोई कोताही नहीं बरती जाए. ग्रीन हंट का उद्देश्य केवल इतना होना चाहिए कि नक्सलियों कि जो पौध सुधरकर समाज कि मुख्या धारा में आने को तैयार नहीं है, उसे समाप्त कर शेष को सम्मानजनक जीवन प्रदान किया जाए. हमारे राजनेताओं को भी इसमे अपनी रोटियां सेंकने कि बजाय देशहित में एकजुटता दिखानी चाहिए. अंततः हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शरीर के किसी हिस्से के रोगग्रस्त होने पर उसके इलाज की और जरुरत पड़ने पर उस अंग को काटकर अलग करने की आवश्यकता होती है. इसकी जगह पूरे शरीर को नष्ट करना कहीं से भी बुद्धिमानी नहीं होगी.

1 comment:

  1. well analyzed thought.... honest and committed development works is the solution....

    but seems idealist.... we are not honest and committed... but the degree of honesty and degree of development has positive correlation... hope we can do much better..

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